जलवायु का अर्थ हिंदी में। Meaning Of Climate in hindi | GkAanywhere
जलवायु का अर्थ 🌊
MEANING OF CLIMATE 🛶
किसी स्थान पर लंबे समय तक पायी जाने वाली मौसमी दशाओं को जलवायु कहते हैं। इसके लिए तीन प्रमुख तत्व तापमान ,वायुदाब और वर्षा मुख्य है। ऋतुयें, हवाओं की गति व दिशा, तापमान, वायभार, वर्षा आदि मिलकर किसी देश की जलवायु को निर्धारित करते हैं।
भारत की जलवायु मानसूनी जलवायु कही जाती है। मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसम शब्द से हुई है जिसका अर्थ ऋतु से है। भारत में मुख्य रूप से दक्षिणी-पश्चिमी मानसून और उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक हवाओं के प्रभाव से वर्षा होती है। यह दोनों पवनें है वर्ष की दो अलग-अलग ऋतुओं में बहती है। इसलिए भारत की जलवायु मानसूनी जलवायु कहलाती है। जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध में रहता है तो हिंद महासागर से आद्रतायुक्त पवनें चलती हैं, जिससे समस्त भारत में व्यापक वर्षा होती है। इसे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून(Monsoon) कहते हैं। और जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में रहता है तो उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक हवा स्थल से जल की ओर बहती है, जिससे भारत के कुछ भागों में ही वर्षा होती है। शेष भाग शुष्क रहते हैं। इस तरह से वर्ष में दोनों हवाएं अपने निश्चित समय में प्रवाहित होकर अपना कार्य करती हैं।
भारत में एक स्थान से दूसरे स्थान पर ऋतु, तापमान और वर्षा में पर्याप्त अंतर पाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु में थार के मरुस्थल का तापमान 55°C तक हो जाता है। शीत ऋतु में जम्मू कश्मीर और लेह में इतनी ज्यादा सर्दी पड़ती है कि कभी-कभी तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। 24 घंटे में एक स्थान के तापमान में भी काफी अंतर पाया जाता है। यदि हिमालय पर बर्फ गिरती है तो शेष भारत में बौछार पड़ती है। मेघालय में 200cm तक वर्षा होती है तो राजस्थान में 25cm। भारतीय वर्षा पूर्णता मानसूनी वर्षा है। जब इन पवनों के मार्ग में कोई बाधा आती है तो वहां पर ज्यादा वर्षा होती है। पश्चिमी ढालों और हिमालय पर्वत के दक्षिणी ढालों पर ज्यादा वर्षा होती है।
भारत की जलवायु मानसूनी जलवायु कही जाती है। मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसम शब्द से हुई है जिसका अर्थ ऋतु से है। भारत में मुख्य रूप से दक्षिणी-पश्चिमी मानसून और उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक हवाओं के प्रभाव से वर्षा होती है। यह दोनों पवनें है वर्ष की दो अलग-अलग ऋतुओं में बहती है। इसलिए भारत की जलवायु मानसूनी जलवायु कहलाती है। जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध में रहता है तो हिंद महासागर से आद्रतायुक्त पवनें चलती हैं, जिससे समस्त भारत में व्यापक वर्षा होती है। इसे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून(Monsoon) कहते हैं। और जब सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में रहता है तो उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक हवा स्थल से जल की ओर बहती है, जिससे भारत के कुछ भागों में ही वर्षा होती है। शेष भाग शुष्क रहते हैं। इस तरह से वर्ष में दोनों हवाएं अपने निश्चित समय में प्रवाहित होकर अपना कार्य करती हैं।
भारत में एक स्थान से दूसरे स्थान पर ऋतु, तापमान और वर्षा में पर्याप्त अंतर पाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु में थार के मरुस्थल का तापमान 55°C तक हो जाता है। शीत ऋतु में जम्मू कश्मीर और लेह में इतनी ज्यादा सर्दी पड़ती है कि कभी-कभी तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। 24 घंटे में एक स्थान के तापमान में भी काफी अंतर पाया जाता है। यदि हिमालय पर बर्फ गिरती है तो शेष भारत में बौछार पड़ती है। मेघालय में 200cm तक वर्षा होती है तो राजस्थान में 25cm। भारतीय वर्षा पूर्णता मानसूनी वर्षा है। जब इन पवनों के मार्ग में कोई बाधा आती है तो वहां पर ज्यादा वर्षा होती है। पश्चिमी ढालों और हिमालय पर्वत के दक्षिणी ढालों पर ज्यादा वर्षा होती है।
भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक ⬇️
FACTORS AFFECTING INDIAN CLIMATE ⬇️
पृथ्वी पर सभी जगह एक जैसी जलवायु नहीं पायी जाती है। तापमान, वर्षा और वायुदाब के कारण जलवायु में अंतर पाया जाता है। भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है।⬇️
- स्थिति और उच्चावच,(Position And Elevation)
- पवनों की दिशा (Wind Direction)
- समुद्री दशा (Sea Condition)
- भूमध्य रेखा से दूरी (Distance From Equator)
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