प्रथम विश्वयुद्ध के कारण एवं विशेषताएं PDF | Causes and features of the First World War | Gk Anywhere

 

प्रथम विश्वयुद्ध के कारण 

CAUSES OF FIRST WORLD WAR 
प्रथम विश्वयुद्ध के निम्न कारण थे -

 1. साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा   

Imperialist Competition -
निसंदेह है यूरोपीय देशों ने विस्तार वाद की जो प्रक्रिया आरंभ की थी वह आगे चलकर प्रथम विश्व युद्ध का कारण बनी। आरंभ में संधियों के माध्यम से उत्पन्न संघर्ष को टाला जाता रहा किंतु बीसवीं सदी के प्रारंभ से स्थितियों में बदलाव आया। जर्मनी के एकीकरण के बाद इतना औद्योगिक विकास हुआ कि 1914 तक उसने लोहे और इस्पात के उत्पादन में ब्रिटेन और फ्रांस को पीछे छोड़ दिया। 1912 में निर्मित जर्मनी का जहाज इंपरेटर उस समय का सबसे बड़ा जहाज था। जर्मनी ने बर्लिन से बगदाद तक रेलवे लाइन बिछाकर उस्मानिया (तुर्की) की अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण करना चाहा, इससे ब्रिटेन, फ्रांस तथा रूस डर गए। इसी प्रकार अन्य साम्राज्यवादी देशों; जैसे - जापान, इटली, आस्ट्रिया आदि के हितों के आपसी टकराव और प्रतिस्पर्धा के कारण युद्ध अपरिहार्य हो गया।

2. जर्मनी का एकीकरण व उत्थान 

Unification And Rise of Germany -
औद्योगिक उत्थान के बाद जर्मनी भी साम्राज्य - विस्तार की दौड़ में शामिल हो गया। अन्य साम्राज्यवादी शक्तियों की भांति जर्मनी ने भी कच्चे माल की आपूर्ति व सुरक्षित बाजार की आवश्यकता के लिए एशिया व अफ्रीका के क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास प्रारंभ कर दिया जिससे रुष्ट होकर ब्रिटेन व फ्रांस ने इसका कड़ा विरोध किया। यह विरोध आगे चलकर प्रथम विश्व युद्ध का कारण बना।

3. विरोधी गुटों का उदय 

Rise of Opposing Factions -
 साम्राज्यवाद व सीमा-विस्तार की प्रवृत्ति से यूरोप में चल रहे आपसी वैमनस्य व तनाव के कारण दो विरोधी गुटों का सृजन हुआ।अपने हितों की पूर्ति के लिए विभिन्न देश परस्पर विरोधी गुटों में शामिल होकर अपनी सैन्य शक्ति का विस्तार करने लगे। इस समय उग्र राष्ट्रवाद की भावना ने आग में घी का काम किया।1882 ई. में जर्मनी,आस्ट्रिया-हंगरी और इटली का नया त्रिकुट विश्व मंच पर गठित हुआ। इसके विरोध में सन 1907 में रूस, फ्रांस व ब्रिटेन के बीच एक समझौते के आधार पर एक दूसरा गुट भी बनकर तैयार हो गया। इन दोनों अंतर विरोधी गुटों के निर्माण से सिद्ध हो गया कि कालांतर में एक भयंकर युद्ध होकर रहेगा।

4. फ्रांस जर्मन - वैमनस्य

France German - Animosity -
1871 ई. में जर्मनी ने फ्रांस को हराकर अल्सास-लोरेन का क्षेत्र अपने कब्जे में कर लिया। इस घटना से फ्रांस-जर्मनी की शत्रुता बढ़ गई है। फ्रांस अपनी शर्मनाक पराजय का बदला लेने के लिए तत्पर था।यह बदले की भावना भी प्रथम विश्व युद्ध का कारण बनी।

5. उग्र राष्ट्रीयता की भावना 

Strong Nationalism -
प्रथम विश्व युद्ध के पूर्व अधिकांश शक्तिशाली राष्ट्र अपने हित के लिए इतने अंधे हो गए कि उन्हें उचित-अनुचित का ध्यान ही नहीं रहा।वे परस्पर एक-दूसरे को पीछे छोड़ देने के लिए तत्पर थे। उनकी उग्र राष्ट्रीयता की भावना ने विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

6. बाल्कन समस्या

Balkan Problem -
यूरोप की 6 महा शक्तियां - ब्रिटेन, जर्मनी,ऑस्ट्रिया-हंगरी,रूस, फ्रांस और इटली बाल्कन प्रायद्वीप के देशों को लेकर उलझ गए।बाल्कन प्रायद्वीप के देश तुर्की साम्राज्य के अधीन थे,किंतु 19वीं शताब्दी में तुर्की साम्राज्य पतन की ओर गतिशील हो गया था। इस समय स्वाधीनता के लिए अनेक जातियाँ तुर्की साम्राज्य के विरुद्ध विद्रोह कर रही थी। इधर रूस भी बाल्कन देशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता था। फलत: रूस ने सर्व-स्लाव नामक आंदोलन को बढ़ावा दिया जो इस सिद्धांत पर आधारित था कि पूर्वी यूरोप के क्षेत्रों में रहने वाले सभी स्लाव एक ही जन गण के लोग हैं।स्लाव ऑस्ट्रिया-हंगरी के अनेक क्षेत्रों में भी रहते थे। इसलिए रूस ने तुर्की और आस्ट्रिया-हंगरी दोनों के खिलाफ आंदोलन को बढ़ावा दिया। इस प्रकार रूस की आस्ट्रिया-हंगरी और तुर्की से शत्रुता हो गई। प्रथम विश्व युद्ध के पूर्व जर्मनी अपनी मित्रता टर्की(तुर्की) से स्थापित कर रहा था और टर्की की शत्रुता रूस से थी, अतः जर्मनी और रूस भी एक-दूसरे के शत्रु बन गए। इस प्रकार इन राष्ट्रों की परस्पर शत्रुता ने प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर दी।

7. मोरक्को संकट

Moroccan Crisis -
प्रथम विश्व युद्ध के पूर्व यूरोप में कई ऐसी घटनाएं हुई जिनके कारण तनाव चरम पर पहुंच गया। इनमें से एक था मोरक्को को लेकर फ्रांस और ब्रिटेन के बीच टकराव। इस टकराव को समाप्त करने के लिए ब्रिटेन और फ्रांस ने 1904 ई. में एक समझौता किया। इस समझौते के आधार पर ब्रिटेन को मिस्त्र और फ्रांस को मोरक्को मिल गया किंतु जर्मनी इस समझौते से रुष्ट हो गया। इस समझौते के विरोध में जर्मन सम्राट मोरक्को गया और वहां के सुल्तान को मोरक्को की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पूरा समर्थन देने का वचन दिया। इससे जर्मनी और फ्रांस में तनाव बढ़ा किंतु 1911 ई. में फ्रांस ने जर्मनी को कांगो का एक बड़ा भाग देकर तनाव को समाप्त तो कर दिया किंतु जर्मनी और फ्रांस, मोरक्को पर आधिपत्य स्थापित करने के प्रश्न पर भावी युद्ध की तैयारी में संलग्न हो गए।

8. सैनिक तैयारियां 

Military Preparedness -
आपसी वैमनस्य एवं प्रतिस्पर्धा के कारण शक्ति संपन्न राष्ट्र एक दूसरे से भयभीत होकर सैनिक तैयारियों में जुट गए। साथ ही आपस में सैनिक संधियाँ भी करने लगे, अतः सैनिक तैयारियों ने भी प्रथम विश्व युद्ध में आग में घी डालने का काम किया।

9. उपनिवेशीकरण की भावना

Sense of Colonization -
19 वीं सदी के अंत तक प्रायः सभी शक्तिशाली राष्ट्र अधिक-से-अधिक उपनिवेश बनाने की दौड़ में सम्मिलित हो गए। जर्मनी इस दौड़ में बाद में आया किंतु उसकी औद्योगिक उन्नति से अन्य राष्ट्र भयभीत होने लगे। जापान भी इस स्पर्धा में सम्मिलित हो चुका था, अतः उपनिवेशीकरण की भावना ने भी प्रथम विश्व युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

10. आपसी तनाव व कड़वाहट

Mutual Tension And Bitterness -
एक-दूसरे के आगे बढ़ जाने की स्पर्धा ने यूरोपीय देशों को इतना अंधा बना दिया कि वे दूसरों के इलाके पाने के लिए आपस में गुप्त समझौते भी करने लगे। इन समझौतों का अक्सर भंडाफोड़ हो जाता था। इससे हर देश में भय एवं संका का का वातावरण बन जाना स्वाभाविक था।

11. तात्कालिक कारण 

Immediate Cause -
20वीं सदी के द्वितीय दशक में यूरोपीय वातावरण तनावग्रस्त तो था ही इसी समय घटित एक घटना, जिसमें आस्ट्रिया के राजकुमार आर्कड्यूक फ्रांसिस अपनी पत्नी सहित बोसानिया की राजधानी सेराजेवो गये, जहां पर 28 जून,1914 को गोली मारकर पत्नी सहित उनकी हत्या कर दी गई।आस्ट्रिया ने अपने राजकुमार की हत्या की जिम्मेदारी सर्बिया पर डालते हुए युद्ध की चुनौती दी। जर्मनी ने आस्ट्रिया का व रूस ने सर्बिया का पक्ष लिया। इस घटना के परिणामस्वरुप 28 जुलाई 1914 ई. आस्ट्रिया ने सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। इधर रूस ने स्लाव जाति की रक्षा के लिए सर्बिया का पक्ष लेकर आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया। 1 अगस्त,1914 ई. को जर्मनी ने आस्ट्रिया के पक्ष में तथा 3 अगस्त को फ्रांस और इंग्लैंड ने सर्बिया के पक्ष में युद्ध की घोषणा कर दी। अनेक दूसरे देश भी लड़ाई में शामिल हो गए। सुदूर पूर्व में जर्मनी के उपनिवेशों को अपने कब्जे में करने के उद्देश्य से जापान ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इस प्रकार इन घटनाओं ने संपूर्ण विश्व को युद्ध की आग में झोंक दिया और प्रथम विश्वयुद्ध अपरिहार्य हो गया।

प्रथम विश्वयुद्ध की विशेषताएं 

Features of the First World War -
1914 ई. के पूर्व इतना विनाशकारी एवं भयंकर युद्ध कभी नहीं हुआ था। यह युद्ध 28 जुलाई, 1914 को प्रारंभ होगा और 11 नवंबर,1918 ई. को जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ। इस विश्व युद्ध की निम्न प्रमुख विशेषताएं थी।

1. यह युद्ध विश्व के एक विस्तृत भू-भाग पर लड़ा गया तथा इसमें विश्व की कई जातियों और देशों ने भाग लिया।

2. निसंदेह हि यूरोपीय देशों ने विस्तार वाद की जो प्रक्रिया आरंभ की थी वह आगे चलकर प्रथम विश्व युद्ध का कारण बनी। इस युद्ध में नियमित सैनिकों के साथ ग़ैर सैनिक जनता को भी युद्ध में भाग लेना पड़ा और उन्हें कहीं सैनिकों से ज्यादा जनधन की हानि का सामना करना पड़ा। इसका मुख्य कारण वायुयानों का प्रयोग था।

3. इस महायुद्ध की विनाशलीला विश्वव्यापी थी। इसके कारण विश्व का सामाजिक एवं आर्थिक संतुलन बिगड़ गया।

4. इस युद्ध में पहली बार जर्मनी द्वारा जहाजों को डुबाने के लिए यू-बोट नमक पनडुब्बी का प्रयोग किया।

5. यह युद्ध धरती, आकाश और समुद्र तीनों में लड़ा गया तथा इसमें टैंको, बमों और पनडुब्बियों का प्रयोग किया गया। पहली बार वायुयानों का प्रयोग इसी युद्ध में हुआ।

6. संसार पहली बार यह युद्ध शारीरिक शक्ति के स्थान पर मशीनी शक्ति के आधार पर लड़ा गया।11 नवंबर,1918 ई. को जर्मनी के आत्मसमर्पण के फल स्वरुप प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हो गया।

7. यह युद्ध ऐसा था जो पहली बार इतनी लंबी अवधि तक चलता रहा। इस युद्ध का प्रारंभ 2 जुलाई,1914 ई. को हुआ और अंत 11 नवंबर, 1918 ई. को हुआ। इस प्रकार यह युद्ध लगभग 4 वर्षों तक चला।

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QNA -

प्रश्न - प्रथम विश्व कब प्रारंभ हुआ था?

उत्तर - इस युद्ध का प्रारंभ 2 जुलाई,1914 ई. को हुआ और अंत 11 नवंबर, 1918 ई. को हुआ। इस प्रकार यह युद्ध लगभग 4 वर्षों तक चला।

प्रश्न - प्रथम विश्व युद्ध के समय सबसे बड़ा जहाज कौन सा था?

1912 में निर्मित जर्मनी का जहाज इंपरेटर उस समय का सबसे बड़ा जहाज था।

प्रश्न - आस्ट्रिया के राजकुमार का क्या नाम था?

उत्तर - आर्कड्यूक

प्रश्न - जर्मनी की पनडुब्बी का क्या नाम था?

उत्तर - इस युद्ध में पहली बार जर्मनी द्वारा जहाजों को डुबाने के लिए यू-बोट नमक पनडुब्बी का प्रयोग किया।